THE SMART TRICK OF CHALAWA KI DAHSHAT EK SUCCHI KAHANI THAT NOBODY IS DISCUSSING

The smart Trick of Chalawa ki dahshat ek succhi kahani That Nobody is Discussing

The smart Trick of Chalawa ki dahshat ek succhi kahani That Nobody is Discussing

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इधर मैं अपने दोस्तों के साथ मिल का छुट्टियों का भरपूर मजा ले रहा हूं, दिन भर गांव में आवारागर्दी करना, खेलना, नहाने के लिए नदी में जाना, वहां बैठ कर हिसर, किंगोड़ा, तूंगा, तिमला( जंगली फल) आदि फल खूब खाते हैं, इसी तरह दिन गुजर रहे हैं।

कभी सोचती कि, “वह कहीं माता - पिता के प्रेम में फरेब और कपट की प्रतिछाया तो नहीं ?

तभी हवा में, अचानक से ठंड पहले से और ज्यादा बढ़ गयी थी। मैंने सोचा नीचे घर में जाया जाये तो जैसे ही मैं अपने घर में जाने लगा। मैंने देखा कि उस आदमी का कद अचानक से बढ़ने लगा है।

इधर गांव में सभी महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग डरे परेशान उस ओर देखे जा रहे थे। मैं बहुत डरा हुआ था, अपनी दादी से चिपका हुआ था, और पूछ रहा था कि दादी क्या हुआ, तो दादी ने बताया कि गांव का एक जवान लड़का ऊपर पहाड़ वाले खेत पर "गोट" पर था, तो उसे "भूत" गांव की "केरी"की ओर ले जा रहा है, जहां उसकी जिंदगी खतरे में है। गांव के सभी लोग उसे बचाने उन खेतों की ओर भागे हैं। ये सुनकर मेरी तो जान ही निकल गई।

ठेकेदार—(दुखी मन से)बिटिया इसमें गलती इनकी नहीं।मेरी गलती है।मैं ही पैसों के लालच में पेड़ों को कटवा .

क्या विवाह करना ही किसी नारी के जीवन का मक़सद होना चाहिये ?

व्यायाम करते हुए, get more info मैंने देखा कि वो आदमी या यूँ कहे कि वो साया जैसे पहले था वैसे ही अब भी बस मेरी ही तरफ मुँह किये खड़ा था। मुझे अब थोड़ा अजीब लगने लगा।

एक साथ कई तरह के भाव अलका के चेहरे पर आकर धमाचौकड़ी करने लगे। चिट्ठी हाथ में दबाए वह बहुत तेज़ी से द.

‘ बस पहुँच ही रहे हैं ।’ आलोक अंकल ने उत्तर दिया । उसकी स्थिति देखकर। .

मैं तेजी से नीचे आया और कंबल ओढ़ कर सो गया। सुबह मैंने ये बात अपने घर वालों को बताई तो किसी ने भी मेरा विश्वास नहीं किया, सिवाय मेरी दादी के।

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गांव के बुजुर्गो ने सभी बड़े लड़कों से मशाल बनाने और उस ओर जाने के लिए कहा जिधर से शोर आ रहा था। किसी ने बताया कि शोर उस ऊपर वाले खेत में जो गोट लगी है वहीं से हुत हूत की आवाज आ रही है। किसी ने बताया कि वो गोट तो गिरीश की है,और शायद वो मुसीबत में है।

उस समय मेरे पैर जैसे जम ही गये थे। उस समय मैं खुद को कोसने लगा कि मैं ऊपर आया ही क्यों? अब मैं नही बचने वाला।

सभी बुजुर्ग आपस में मंत्रना कर रहे थे कि कैसे गिरीश को बचाया जाए, और हम सब सुन रहे थे कि कोई गांव का गिरीश भाई संकट में है, पर समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें आखिर हुआ क्या है ? और किस तरह से वो संकट में हैं ? अभी हम बुजुर्गो की बात सुन ही रहे थे कि एक जोर की आवाज गूंजने लगी कि उसे "केरी" (गांव की लक्ष्मण रेखा, जो गांव को बुरी बला से बचाती है) की तरफ ले जाने का प्रयास हो रहा है, और अगर उसने उसे "केरी" के बाहर ले गया तो फिर उसे कोई नहीं बचा सकता, हम सभी बच्चे, दादी, चाचियां सब परेशान,

इस आस के संग उसने अपने घायल तन-मन को समझाने के साथ अपने अनियंत्रित विचारों को झटकने का प्रयत्न किया .

सुनीता चुप रह गई । बाद में वह पूर्वा के कमरे में गई और बोली, ‘‘सौरी बेटा, आज तूने। .

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